अकेलेपन का मज़ा ही अलग है मैंने खुद को पा लिया तेरी राह देखते देखते परखा बहुत गया है मुझे लेकिन कभी समझा नहीं गया मतलबी नहीं हूँ मैं बस दूर हो गया हूँ उन लोगो से जिन्हे मेरी कदर ही नहीं है बुरा हमें भी बहुत लगता है लेकिन हम आपको ज़ाहिर ही नहीं होने देते जब इंसान अंदर से टूट जाता है तभी बाहर से चुप रहने लगता है
बहुत ख़ूब दोस्त अच्छी पोस्ट लिखी हैं
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